Comments (6)
Ashok Kumar Raktale
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18 Jul 2016 11:05 AM
प्रथम दोहे में हुई त्रुटि के लिए मैं क्षमाप्रार्थी हूँ. कृपया उसे नीचे लिखे अनुसार पढ़ें. सादर आभार.
मिट्टी के खपरैल घर , संजोये हैं गाँव |
चर्र-चर्र वह खाट औ, घने नीम की छाँव ||
18 Jul 2016 09:44 AM
वाह्ह्ह्ह्ह बहुत सुन्दर दोहे1
Ashok Kumar Raktale
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18 Jul 2016 11:07 AM
प्रस्तुत दोहों पर उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीया निर्मला कपिला जी.सादर.
17 Jul 2016 07:54 AM
वाह्ह्ह्ह्ह् अति सुन्दर दोहे । वाह्ह्ह्
Ashok Kumar Raktale
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17 Jul 2016 10:32 AM
सादर आभार आदरणीया डॉ. अर्चना गुप्ता जी. सादर.
अति सुन्दर