Comments (6)
15 Jul 2016 09:12 AM
वअह्ह्ह्ह्ह पारस की तरह दोहे 1
Dr Archana Gupta
Author
15 Jul 2016 10:16 AM
हार्दिक धन्यवाद आपका
15 Jul 2016 08:20 AM
वाह्ह्ह्हह्ह!!! बहुत खूब!!!
15 Jul 2016 07:44 AM
बहुत खूब ..क्या बात है
पर अपना अपना अनुभव है
मुझे लिखनी होती ये कविता तो कुछ इस तरह होती हे हे
”पागल हैं माता पिता ,दें खुशियों की खान
उनसा इस संसार में ,कोई नहीं महान..”
Dr Archana Gupta
Author
15 Jul 2016 10:15 AM
बंटी जी आज के दौर में आपकी बात सही है । लेकिन माता पिता सब जानकार पागल बनकर भी खुश रहते हैं । इसी को मोह कहते हैं ।
माता पिता पारस ही होते हैं । धन्य हैं वे लोग जो पारस की कद्र करना जानते हैं ।