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Comments (10)

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वाह, अति उत्तम रचना

बहुत ही सुन्दर और लाजवाब

22 Oct 2018 10:21 PM

शुक्रिया बबिता जी

5 Oct 2016 07:31 AM

wat a flow natural simple impressive true art …feelings ..nice one

6 Oct 2016 11:05 AM

बहुत 2 शुक्रिया

10 Jul 2016 07:16 AM

दिल था हमारा काँच सा नाज़ुक यूँ कम नहीं
टूटे से फिर जुड़ा नहीं कण कण बिखर गये ………वाह ! बहुत खूब.

22 Oct 2018 10:22 PM

शुक्रिया अशोक जी

10 Jul 2016 03:52 AM

अर्चना जी ….बहुत बढ़िया ग़ज़ल !!

मेरे हिसाब से
लेकिन निभा सके नही ………..गये !!
ये ज्यादा अच्छा लगेगा !!

9 Jul 2016 08:09 PM

बहुत सुंदर ग़ज़ल है|

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