Comments (10)
4 Nov 2018 11:31 AM
बहुत ही सुन्दर और लाजवाब
10 Nov 2016 08:48 PM
Very nice
Dr Archana Gupta
Author
22 Oct 2018 10:21 PM
शुक्रिया बबिता जी
5 Oct 2016 07:31 AM
wat a flow natural simple impressive true art …feelings ..nice one
Dr Archana Gupta
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6 Oct 2016 11:05 AM
बहुत 2 शुक्रिया
10 Jul 2016 07:16 AM
दिल था हमारा काँच सा नाज़ुक यूँ कम नहीं
टूटे से फिर जुड़ा नहीं कण कण बिखर गये ………वाह ! बहुत खूब.
Dr Archana Gupta
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22 Oct 2018 10:22 PM
शुक्रिया अशोक जी
10 Jul 2016 03:52 AM
अर्चना जी ….बहुत बढ़िया ग़ज़ल !!
मेरे हिसाब से
लेकिन निभा सके नही ………..गये !!
ये ज्यादा अच्छा लगेगा !!
9 Jul 2016 08:09 PM
बहुत सुंदर ग़ज़ल है|
वाह, अति उत्तम रचना