Comments (3)
8 Jul 2016 06:57 PM
आँसुओं //की //बाढ़ में खुशियाँ फ़ना हुयी हैं!
जब-जब हँसी हूँ मैं खुद की नज़र लगी है!
जाना कभी नही ये किस ओर ज़िन्दगी है!
हम साथ चल दिये बस जिस ओर ले चली है!…….वाह ! बहुत सुंदर.
jyotima shukla
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30 Jul 2016 02:59 PM
Thanks
Bhut khub jyotima ji