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8 Jul 2016 03:27 PM

वाह्ह्ह् आअह्ह्ह बहुत सुन्दर ।

8 Jul 2016 07:34 PM

धन्यवाद जी

कहीं बंद किवाड़ों में भी आरज़ू सिसकती होगी।
अपने अरमानों को पूरा करने को तरसती होगी।–क्या बात है,,,,,,,,,,,

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