Comments (3)
8 Jul 2016 02:40 PM
कहीं बंद किवाड़ों में भी आरज़ू सिसकती होगी।
अपने अरमानों को पूरा करने को तरसती होगी।–क्या बात है,,,,,,,,,,,
कहीं बंद किवाड़ों में भी आरज़ू सिसकती होगी।
अपने अरमानों को पूरा करने को तरसती होगी।–क्या बात है,,,,,,,,,,,
वाह्ह्ह् आअह्ह्ह बहुत सुन्दर ।
धन्यवाद जी