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वर्तमान में दर्शनशास्त्र विषय तो खत्म ही हो गया है। जब तक इस विषय को नौकरी से नहीं जोडा जाएगा। इसकी हालात तो इसी प्रकार से खराब होती रहेगी। विद्यार्थी इसे क्यों पढे? इसमें कोई भविष्य ही नहीं है।
वर्तमान में दर्शनशास्त्र विषय तो खत्म ही हो गया है। जब तक इस विषय को नौकरी से नहीं जोडा जाएगा। इसकी हालात तो इसी प्रकार से खराब होती रहेगी। विद्यार्थी इसे क्यों पढे? इसमें कोई भविष्य ही नहीं है।