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30 Jun 2024 09:53 AM

मेरी खुशियों की दिवाली हो तुम।
दिल में बजने वाली कव्वाली हो तुम।
मरुस्थल में मेरे लिए कही हरियाली हो तुम।
देखता हूं है रोज आपके फोटो करके जूम।
बसंत बयार से देवदार सा जाता हूं झूम।
अब तो मेरा दिल रहता है आप में ही गुम।

30 Jun 2024 09:50 AM

इतना सुकून मिलता है आपको देखकर और पढ़कर की मैं अपने शब्दो में बयां नहीं कर सकता।

29 Jun 2024 09:14 AM

बिल्कुल सच ।

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