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वाह ! खूब सार्थक दोहे रचे हैं. बहुत बधाई.
तरकारी के नाम पर, गरल उगाते खेत | विष पीकर ऐसे तपे,…गए आग से चेत ||
वाह ! खूब सार्थक दोहे रचे हैं. बहुत बधाई.
तरकारी के नाम पर, गरल उगाते खेत |
विष पीकर ऐसे तपे,…गए आग से चेत ||