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7 Feb 2024 06:14 PM

Waaah waaaah

धन्यवाद बंधु

बहुत बनाये रिश्ते, और बन भी गए।
पर आत्मा एक न हुई,
इसलिए सब रूठे हुए है।।
कितना संभालें दर्द भरे फब्बारे को,
क्या पता, ये कहाँ कहाँ से फूटे हुए हैं।।

लाजबाब बड़े भाई साब।।

3 Feb 2024 05:45 AM

बहुत ख़ूब !

धन्यवाद आदरणीय

वाह आदरणीय ,अच्छा लिखा है।
🙏👌👍🎉🌷

धन्यवाद आदरणीय

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