Comments (10)
7 Feb 2024 05:58 PM
बहुत बनाये रिश्ते, और बन भी गए।
पर आत्मा एक न हुई,
इसलिए सब रूठे हुए है।।
कितना संभालें दर्द भरे फब्बारे को,
क्या पता, ये कहाँ कहाँ से फूटे हुए हैं।।
ईश्वर दयाल गोस्वामी
Author
7 Feb 2024 05:59 PM
अद्भुत
7 Feb 2024 05:54 PM
लाजबाब बड़े भाई साब।।
ईश्वर दयाल गोस्वामी
Author
7 Feb 2024 05:59 PM
धन्यवाद
3 Feb 2024 05:45 AM
बहुत ख़ूब !
ईश्वर दयाल गोस्वामी
Author
3 Feb 2024 07:59 PM
धन्यवाद आदरणीय
3 Feb 2024 12:49 AM
वाह आदरणीय ,अच्छा लिखा है।
🙏👌👍🎉🌷
ईश्वर दयाल गोस्वामी
Author
3 Feb 2024 08:00 PM
धन्यवाद आदरणीय
Waaah waaaah
धन्यवाद बंधु