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अतिसुंदर अभिव्यक्ति !
आपकी रचना से प्रेरित होकर मैंने अपने कुछ भाव प्रस्तुत किए हैं कृपया अवलोकन कर टिप्पणी प्रस्तुत करें :

लिख सकूं ऐसे स्वर सबल ,
जो अंतः पीड़ा सह सकें ,
लड़ सकें निःशब्द भाव ,
शांति दीपक जल सके ,
अभिव्यक्ति मेरा अस्त्र बने ,
मस्तिष्क मेरी रणभूमि ,
ध्वस्त कर मंतव्य द्वेष के ,
नष्ट हो अनाचार जनमानस में ,
कर अंकुरित प्रेम बीज अंतस मे ,
स्थापित हो सद्भाव मनस में ,
भंग हो तिमिर अहं के ,
स्फुरित हो संज्ञान ,
कर संताप नष्ट जगत में ,
हो स्पंदित आल्हाद निसर्ग में ।

धन्यवाद !💐

वाह क्या बात है सर

आप तो वरिष्ठ साहित्यकार है आप के हर शब्द में वजन है यही तो कविता की प्रखरता है

प्रोत्साहन का साधुवाद !💐

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