Comments (3)
26 Jun 2016 05:04 PM
गम इतने हैं आमजनों के
अब छलक रहा पैमाना है……..वाह ! सुंदर गजल आदरणीय बसंत जी.
बसंत कुमार शर्मा
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28 Jun 2016 03:54 PM
आभार आदरणीय आपका
बहुत सुन्दर ग़ज़ल