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14 Jul 2016 12:42 PM

बहुत सुन्दर ग़ज़ल

26 Jun 2016 05:04 PM

गम इतने हैं आमजनों के
अब छलक रहा पैमाना है……..वाह ! सुंदर गजल आदरणीय बसंत जी.

आभार आदरणीय आपका

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