Comments (4)
6 Jun 2023 09:02 AM
बहुत खूब
Amrita Srivastava
Author
6 Jun 2023 11:12 AM
शुक्रिया
अच्छी है, सरल–सहज दिल उलीच कर की गई अभिव्यक्ति। कविता में कुछ अशुद्धियां हैं। ’हैं’ को हर जगह ’है’ करें और अंतिम में आए ’की’ को ’कि’।
तुम में संभावनाएं हैं अमृता, जिसे इस ऑनलाइन लेखन प्लेटफार्म साहित्यपीडिया ने तुम्हारा चयन कर एंडोर्स भी किया है।
लगातार लिखा करो। हां, करियर के लिए पढ़ाई–लिखाई में कोई बाधा न पहुंचे, यह ध्यान रहे। 55 का हूं, अपने अनुभवों से कह रहा हूं। अभी बस, बतौर हॉबी ही ऐसे एक्स्ट्रा रीडिंग किया करो। कविता सहित अन्य विधाओं की अच्छी पुस्तकें पढ़ा करो ताकि भाषा बेहतर बनती चली जाए और हिंदी भाषा पर एक अधिकार हो जाए।
सदिच्छाएं!
आपका बहुत ही शुक्रिया सर 🙏 अपने मेरी ही गलतियों से मुझे अवगत कराया इसका मै हमेशा आगे से ध्यान रखूंगी