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Beautifully composed, a sense of imagery drove through my inward eyes while I was reading this art piece… ✨

क्या दोस्त! इतनी सी बात से परेशान हो, आओ मेरे साथ

संतोष भईया भईया के इस सवाल ने मुझे असमंजस में डाल दिया

चूँकि वो भी बच्चे थे तो इस बात को खुल्लम-खुल्ला प्रकट भी कर देते थे

डोरबेल बजाने पर एक महिला ने दरवाजा खोला। “क्या चाहिए बेटा”

प्रत्युत्तर में संतोष भईया ने दोस्ती की हुड़की और दिलासा एक साथ दे डाली।

संतोष भईया जिस मकान में रहने आये थे वो उस गली के अन्य मकानों की उस समय की कीमत से आधे दाम में बिक रहा था।

संतोष भईया हम सब बच्चों से उम्र में बड़े थे। मोहल्ले के मेरे मित्र बच्चे आठ-दस वर्ष के थे तो उनकी उम्र उस वक़्त चौदह-पन्द्रह रही होगी। पर उम्र के अंतर के वावजूद वो हम सब बच्चों के मित्र ही थे।

बहुत अच्छा लिखा है तुमने इतनी छोटी सी उम्र में

खेल रुक गया था थोड़ी देर के लिए। सभी बच्चे अपनी बैटिंग, बॉलिंग और फील्डिंग की पोजीशन छोड़कर वहीँ आ गए थे।

30 May 2023 03:25 AM

किसी की अमानत आपके पास हो तो उसे सही-सलामत वापस करना ही सज्जनता है।

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