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संजीवनी गुप्ता जी धन्यवाद 🙏

एक के ऊपर एक
परत-दर-परत चढ़े होते हैं,
आँखों पर तरह-तरह के चश्मे।
पर, न तो
नाक पर उनके
वजन का अहसास होता है;
न ही कानों पर उनका बोझ;

23 May 2023 11:09 PM

बहुत खूब 💐💐

आपकी अमूल्य प्रतिक्रिया के लिए आभार 🙏

डरता हूँ कि
इन चश्मों के छूटने के साथ,
इस चश्मा चढ़ी दुनिया में
कहीं मैं अलहिदा न छूट जाऊँ

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