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दगावाज सावन में,
ग़ज़ल, कज़री या दादरा नहीं,
बल्कि क्रंदन-
सिर्फ क्रंदन ही बिलखता है

सारंगी आज
सरहद पे शहीद हुए
सिपाही की माँ के ह्रदय की तरह
चीख़-चीख़ कर फटी जाती है

20 May 2023 07:43 PM

अति सुन्दर भावपूर्ण रचना।

आपका बहुत बहुत धन्यवाद

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