Comments (5)
23 May 2023 01:03 AM
स्थायित्व मेरे चित्त का, बनकर पराग बिखर गया
23 May 2023 12:42 AM
स्वच्छंद मृग चुपचाप, तेरे, सामीप्य में ठहर गया
22 May 2023 12:34 AM
कस्तूरी इतिहास की, आज, फिर से बिखर गई,
तप, तेज़ सब निस्तेज़ कर, मेनका निज घर गई
21 May 2023 05:43 PM
छिन गया जिस तरह से, तप सारा विश्वामित्र का,
उस अप्सरा ने हर लिया, ज्यों तेज़ उस व्यक्तित्व का
पर उसी क्षण द्वार पर, मन के कोई दस्तक हुई,
कौशिक की कुटीर में, मेनका घर कर गई