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स्मृतियों के दर्पण पर, दो शब्दों की धूप हो, इस तरह हवन की, पूर्ण आहुति हो ||
बूँद बूँद भरे मेरे, सूखे से शब्दकोश, आपके मौन शब्दों की, इसमें जो युति हो ||
@ नील पदम्
स्मृतियों के दर्पण पर,
दो शब्दों की धूप हो,
इस तरह हवन की,
पूर्ण आहुति हो ||
बूँद बूँद भरे मेरे,
सूखे से शब्दकोश,
आपके मौन शब्दों की,
इसमें जो युति हो ||
@ नील पदम्