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तिश्नगी जम गई पत्थर की तरह होठों पर ,
डूब कर भी तेरे दरिया से मैं प्यासा निकला ,
क्या भला मुझको परखने का नतीज़ा निकला ,
जख़्मे दिल आपकी नज़रों से भी गहरा निकला।

श़ुक्रिया !🌹

26 Mar 2023 08:28 PM

अभी तिश्नगी है तो पिला दो मुझको।
बाद मैं बिसलेरी बहे या किनले।

मय़नोशी में इस कदर डूबा के होश का ठिकाना ना रहा ,
शुरु पैमाने से हुआ बाद में सागर को ही पैमाना बना दिया ।
श़ुक्रिया !🍷

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