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ग़ज़ल- क़त्ल करने आज क़ातिल फिर शहर में आ गया।
Comments (2)
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आनंद बिहारी
31 Jul 2016 11:50 PM
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बहुत सुंदर, श्रीमान!
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अकेला इलाहाबादी
Author
31 Aug 2016 04:06 PM
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शुक्रिया आपका आनन्द बिहारी जी I
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बहुत सुंदर, श्रीमान!
शुक्रिया आपका आनन्द बिहारी जी I