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बहुत सुंदर रचना उत्तरांचली जी । बधाई । पढ़कर सुंदर रचना फड़क उठा अंग अंग बिन पिए ही चढ़ गया हम पर भंग का रंग
बहुत सुंदर रचना उत्तरांचली जी । बधाई ।
पढ़कर सुंदर रचना फड़क उठा अंग अंग
बिन पिए ही चढ़ गया हम पर भंग का रंग