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6 Jan 2023 04:11 PM

बहुत सुन्दर तथ्यात्मक जानकारी

हार्दिक आभार

6 Jan 2023 07:15 AM

रोला दोहा मिल बनें, कुण्डलिया आनंद।
रखिये मात्राभार सम, ग्यारह तेरह बंद।।
ग्यारह तेरह बंद, अंत में गुरु ही आये।
अति मनभावन शिल्प, शब्द संयोजन भाये।।
कहे ‘अमित’ कविराज, छंद यह मनहर भोला।
कुण्डलिया का सार, एक दोहा अरु रोला।।

कन्हैया साहू ‘अमित’

बहुत खूब

6 Jan 2023 07:14 AM

कुंडलिया यज्ञशाला में भी एक आहुति स्वीकारें।

कुंडलिया लिख लें सभी, रख कुछ बातें ध्यान।
दोहा रोला जोड़ दें, इसका यही विधान।।
इसका यही विधान,आदि ही अंतिम आये।
उत्तम रखें तुकांत, हृदय को अति हरषाये।।
कहे ‘अमित’ कविराज, प्रथम दृष्टा यह हुलिया।
शब्द चयन है सार, छंद अनुपम कुंडलिया।।

कन्हैया साहू ‘अमित’

बहुत सुंदर

6 Jan 2023 07:10 AM

डॉ. साहब को आत्मीय आभार सारगर्भित विवेचना हेतु।

हार्दिक आभार 🙏🙏

5 Jan 2023 10:03 PM

इस महत्वपूर्ण आलेख में आपने कुंडलिया छंद के बारे में संपूर्ण जानकारी दी हैं सर। हार्दिक आभार।

हार्दिक आभार सर सराहना के लिए

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