Comments (6)
24 Sep 2022 10:43 AM
बहुत सुंदर, बहुत खूब 👌🏻👌🏻👌🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻
'अशांत' शेखर
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24 Sep 2022 11:13 AM
जी बहुत बहूत आपका हृदयतल से शुक्रिया 🙏🙏🙏🌹🌹🌹
24 Sep 2022 09:52 AM
राख़ को खाक़ न समझो इसमें अब भी कोई दबी चिंगारी बाकी है ,
भड़केगी जब शोला बनकर कहर बरपा जाएगी ,
श़ुक्रिया !🌷
'अशांत' शेखर
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24 Sep 2022 09:54 AM
जी बहोत शानदार आपका तो जवाब ही नहीं धन्यवाद जी 🙏🙏🙏
बहुत हीं उम्दा रचना👌👌👌🙏🙏🙏
बहुत बहुत आपको धन्यवाद आभार शुक्रिया 🙏🙏🙏