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21 Sep 2022 10:29 AM

दरिया जब भी समंदर से मिला फिर नही मिला
बड़े किरदारो से छोटी शख़्सियत तुम बचा लेना
बहुत हीं उम्दा एवं लाजवाब रचना👌👌🙏🙏🙏

बहुत बहुत आपके हौसलामंद अल्फाज़ो के हम शुक्रगुजार है मनीषा जी🙏🙏🙏🌷🌷🌷🌹🌹🌹

दरिया जब भी समुंदर से मिला फिर नहीं मिला,,,,,,,, बहुत ही खूबसूरत लाइन 🙏🙏👌👌

आपका तहे दिल से शुक्रिया आभार आपकी साहित्य की समझ बहोत परिपक्व है और लेखनशैली बहुत उम्दा है 🙏🙏🙏

18 Sep 2022 10:37 PM

आपने बेहतरीन अल्फाज को पिरोकर अपनी जिंदगी को अपनी रचना के जरिए प्रस्तुत किया है।इस दुनियां मै कोई भी इंसान पूरा नही है ,हर इंसान एक-दूसरे से सीखकर ही आगे बढता है और अपने ख्वाबों का बोझ उठाकर उसे पूरा करने की कोशिश करता है।इस बेहतरीन सीख को देती हुई शानदार, लाजवाब, अति सुन्दर रचना👌🏻👌🏻👌🏻🙏🏻🙏🏻

जी सही कहाँ आपने हम खुद को प्रतिद्वंदी मानकर ही उत्कृष्ठ रचना करने की कोशिश करते है कुछ साहित्यकारो की रचनाओं की आप कितनी भी सराहना कर लो पर आपके रचना को नजरअंदाज ही करेंगे पता ये कैसा उनके मन का भाव है समझ नही आता एक दिन यदि उनकी सभी रचना पर आप अपनी सकारात्मक प्रतिक्रिया दो वो फिर भी आपकी रचना का शीर्षक तक नही पढ़ेंगे। ये कैसी साहित्य की समझ मुझे समझ नही आती खैर हम अपने अच्छाइयां को बांटते रहे यही हमारा कर्तव्य है 🙏🙏🙏🙏

19 Sep 2022 04:25 PM

जी हाँ सही कहा आपने🙏🏻🙏🏻😊

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