तुम खुद ही खुदा हो।
अपने आप से मिलो हर रोज़।
कौन किससे फिर जुदा है।
खुशियों के पल पेड़ पर बैठी चिडियों के चहकने में है बच्चों की खिलखिलाहट में है।
तारो और आसमां के चांदनी की रोशनी में है
तुम्हीं रुद्र हो खुद।
रखते हो जो सुध बुध।
हर कार्य करते सटीकता से रणनीति बनाकर।
धरा पर चमकेगा यश जिसका एक दिन वो ध्रुव तारा भी तुम्हीं हो।
तुम्हीं वर्षा की बूंद हो।
जो भी हो तुम्हीं खुद हो।
बहुत खूबसूरत अंदाज़ उम्दा 👌👌👌🙏🙏
गजब की फिलाफसी भरी रचना। प्रेरणा से ओत प्रोत। बहुत ही शानदार।
पूरे हृदय से आभार 🙏🙏
आत्म निर्भर रचना
बहुत बहुत धन्यवाद सादर आभार 🙏🙏
बेहद खास, प्रेरणादायक रचना👌🏻👌🏻🙏🏻🙏🏻💐
हृदयतल से धन्यवाद 🙏🙏
तुम्हारे चाहने से ना हालात बदलेंगे ना लोग,
सपने तुमने देखे है उन्हे पूरा करोगे तुम ख़ुद। बहोत खास अल्फाज़ो द्वारा सच्चाई दर्शाती रचना और खास प्रेरणादायी उम्दा कलम 👍👍👍💐💐💐
पूरे दिल से धन्यवाद सादर आभार 🙏🙏
It’s too motivational ❤️
Thanks