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8 Sep 2022 02:31 PM

जुबाँ ठंडी पड़ी कही से कोई आवाज़ नहीं उठती
बेजान से रूह में खून के कतरे को ठहरते देखा है
वाह निशब्द कर दिया आपने 👌👌🙏🙏

आपको सादर प्रणाम और बहोत बहोत दिल से शुक्रिया आभार आपके हौसला अफजाई भरे अल्फाज़ो के लिए heartily thanks 🙏🙏🙏💐💐💐

8 Sep 2022 08:59 AM

बहुत सुंदर, लाजवाब 👌👌🙏🙏🌷

आपको सादर प्रणाम और बहोत बहोत दिल से शुक्रिया आभार 🙏🙏🙏💐💐💐

बेहतरीन रचना 👌👌🙏

बहोत बहोत धन्यवाद वैष्णवी जी 🙏🙏🙏

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