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4 Sep 2022 08:28 PM

जब खुद से खुद हारोगे तो एक नई सिख पाओगे
प्रतिद्वंदी को हराने में आपकी जो धमक है रहने दो
वाह बहुत हीं शानदार, मंत्रमुग्ध कर गयी आपकी रचना 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

लोग खुद को खुद का प्रतिद्वंदी नही बनाते दुसरो के साथ हमेशा शर्तिया जिंदगी जीते है।बस वही एक विचार जेहन से कलम के द्वारा उतर आया धन्यवाद मनीषा जी 🙏🙏🙏

एक एक बेहतरीन अल्फाज से सराबोर रचना,, बहुत कुछ सीखने को मिला 👌👌👌👌👌👌🙏

कुछ सामाजिक चेतनाएं जागृत हो बस इतनी सी चाहत और कोशिश रहती है आपका बहोत बहोत धन्यवाद आभार और प्रणाम 🙏🙏🙏

3 Sep 2022 10:41 PM

जब खुद से खुद हारोगे तो एक नई सिख पाओगे
प्रतिद्वंदी को हराने में आपकी जो धमक है रहने दो।अपने शब्दो से नई सीख देने की बेहतरीन कोशिश, इंसान अगर खुद को जीत लिया तो समझों दुनिया जीत लिया।अति सुन्दर रचना👌🏻👌🏻💐🙏🏻🙏🏻

जी बिलकुल सही फ़रमाया आपने बस अपने हाथ, कलम, अल्फाज़ सिर्फ कोशिश कर सकते है बाकी दुनिया के अंदाज ही अलग होते है। बहोत बहोत आपका सहृदय से आभार प्रणाम 🙏🙏🙏

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