Comments (7)
14 Aug 2022 04:09 PM
बहुत ही खूबसूरत रचना👌👌👌👌🙏🙏🇮🇳🇮🇳💐💐
'अशांत' शेखर
Author
14 Aug 2022 05:22 PM
बहोत बहोत धन्यवाद 🙏🙏🙏
13 Aug 2022 06:53 PM
बहुत ही खूबसूरत कलाम है अगर बुरा ना लगे तो इस लाइन को जरा रिदम “जरूर बाजारभाव मिला वाज़िब है” सही करें जैसे अजीब अदीब नसीब नसीब तो ये खींचकर बोले जा रहे है और इनके मुकाबले वाजिब की तुकबंदी नही हो रही है। बुरा लगे तो माफ कीजियेगा।
'अशांत' शेखर
Author
13 Aug 2022 07:15 PM
जी बहोत बहोत धन्यवाद आभार आप ने जो सुझाव दिया है वो सर आँखों पे इसमें क्या बदलाव हो सकता है जरा सोचते है बस इसका जो मतला है वो ना बिगड़े वो अर्थपूर्ण होना जरुरी है 🙏🙏🙏🌷🌷🌷
'अशांत' शेखर
Author
13 Aug 2022 07:26 PM
अब पढ़ो और बताओ जी 🙏🙏
वाह निशब्द कर दिया🙏🙏🙏
जी आपकी खास हौसला अफजाई के लिए बहोत बहोत सहृदय से आभार 🙏🙏🙏💐💐💐