Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
Comments (7)

You must be logged in to post comments.

Login Create Account
16 Aug 2022 12:31 PM

वाह निशब्द कर दिया🙏🙏🙏

जी आपकी खास हौसला अफजाई के लिए बहोत बहोत सहृदय से आभार 🙏🙏🙏💐💐💐

14 Aug 2022 04:09 PM

बहुत ही खूबसूरत रचना👌👌👌👌🙏🙏🇮🇳🇮🇳💐💐

बहोत बहोत धन्यवाद 🙏🙏🙏

13 Aug 2022 06:53 PM

बहुत ही खूबसूरत कलाम है अगर बुरा ना लगे तो इस लाइन को जरा रिदम “जरूर बाजारभाव मिला वाज़िब है” सही करें जैसे अजीब अदीब नसीब नसीब तो ये खींचकर बोले जा रहे है और इनके मुकाबले वाजिब की तुकबंदी नही हो रही है। बुरा लगे तो माफ कीजियेगा।

जी बहोत बहोत धन्यवाद आभार आप ने जो सुझाव दिया है वो सर आँखों पे इसमें क्या बदलाव हो सकता है जरा सोचते है बस इसका जो मतला है वो ना बिगड़े वो अर्थपूर्ण होना जरुरी है 🙏🙏🙏🌷🌷🌷

अब पढ़ो और बताओ जी 🙏🙏

Loading...