कोई आँच न आए हमारे वतन पर,
इसके लिए जान हथेली पर लेकर
काँटो के ऊपर चलना पड़ता है।
बेहद खुबसूरत पंक्तियों से लामबंद किया है अनामिका जी.. बहुत हीं शानदार 👌👌👌🙏🙏
आपके हौसलाअफजाई के लिए तहे-दिल बहुत-बहुत धन्यवाद। 🙏🙏🙏🙏
एक शब्द और ठीक करने की आवश्यकता है- सरहद पर अडिग रहना पड़ता है।
जी सर, जानकरी देने के लिए तहे-दिल से बहुत-बहुत धन्यवाद सर 💐💐😊🙏🏻🙏🏻
सही कहूँ तो आज मुझे बेहद खुशी हो रही है ।आप सब मेरी रचना को ध्यान से पढ़ते है और मेरी गलतियों पर अपना समझकर सुधार करने के लिए कहते है। जिसके कारण आप सब से हमेशा मै कुछ न कुछ रोज सिखती हूँ।तहे-दिल से फिर से धन्यवाद। 💐💐🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻😊
देश के प्रहरियों के विषय में सुंदर रचना 😊
आपके हौसलाअफजाई के लिए तहे-दिल बहुत- बहुत धन्यावाद सर।🙏🏻🙏🏻😊
बहुत खूबसूरत रचना है मैंम, हम सब फौजी भाइयों की तरफ से आपको धन्यवाद।
आप सब देश बासियों का प्यार और बरोसा ही हमारे सहस और जज़्बे को हिम्मत देता है, बहुत शुक्रिया मैंम इसके लिए।🙏
आप सब की इसी साहस और जज्बा के कारण हम सब सुरक्षित है।इसके लिए आप सब को जितना शुक्रिया करूँ यह कम है।सभी फौजी भाईयों को मेरा शत-शत प्रणाम 🙏🙏,
जय हिंद।
वतन के नींद सोना पड़ता है
वतन के नींद जागना पड़ता है इसका अर्थ नही समझ आ रहा है इसमें सुधार की जरुरत है बाकी बहोत खास
जानकारी देने के लिए आपका तहे-दिल से धन्यवाद 🙏🙏😊
सही कहूँ तो आज मुझे बेहद खुशी हो रही है ।आप सब मेरी रचना को ध्यान से पढ़ते है और मेरी गलतियों पर अपना समझकर सुधार करने के लिए कहते है। जिसके कारण आप सब से हमेशा मै कुछ न कुछ रोज सिखती हूँ।तहे-दिल से फिर से धन्यवाद। 💐💐🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻😊
शानदार
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद। सादर आभार 🙏🏻