Comments (8)
3 Aug 2022 05:53 PM
महताब ने भी मुंह फेर लिया है मेरे घर आंगन से।
चिरागों के सहारे ये अंधेरी जिंदगी जी जाती नहीं
बहुत हीं उम्दा 🙏🙏🙏
Taj Mohammad
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3 Aug 2022 06:10 PM
आपका तहे दिल से शुक्रिया मनीषा जी।
3 Aug 2022 04:31 PM
शानदार रचना
Taj Mohammad
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3 Aug 2022 05:47 PM
बहुत बहुत शुक्रिया आपका।
3 Aug 2022 12:37 PM
वा शानदार जानदार दमदार क्या कहने है जबरदस्त अल्फाज़ है भाईजान 👌👌👌
Taj Mohammad
Author
3 Aug 2022 01:16 PM
बहुत बहुत शुक्रिया।
जिन्दगी के उतार-चढ़ाव को आपने बहुत ही बेहतरीन ढंग से अपने रचना मे उतारा है।शानदार रचना।👌👌👌🙏
आपका बहुत बहुत शुक्रिया।