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दोनों उत्तुंग व्यक्तिमत्त्व की शख्सियत को विनम्र अभिवादन
दोनो नही एक ही है हमारे प्रिय गायक रफी साहब ।उनका जिक्र हो रहा है इस कविता में ।
आपने भी रफ़ी साहब पर दो बार लिखा मैंने पहले वो पढ़ ली बाद में ये पढ़ी कोई बात नहीं एक ही मूरत को अभिवादन
दोनों उत्तुंग व्यक्तिमत्त्व की शख्सियत को विनम्र अभिवादन
दोनो नही एक ही है हमारे प्रिय गायक रफी साहब ।उनका जिक्र हो रहा है इस कविता में ।
आपने भी रफ़ी साहब पर दो बार लिखा मैंने पहले वो पढ़ ली बाद में ये पढ़ी कोई बात नहीं एक ही मूरत को अभिवादन