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Comments (8)

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29 Jul 2022 10:03 PM

बहुत हीं खुबसूरत रचना 👌👌🙏

30 Jul 2022 01:43 AM

आपको बहुत बहुत धन्यवाद।

इसका तो कोई जवाब ही नहीं बहोत आला अल्फाज़ो से नवाज़ा है सुपर से ऊपर मन गए भाई👌👌👌👌

30 Jul 2022 01:43 AM

सादर आभार।

सांसों के तार पर धड़कन की ताल पर,
नग़मा सा कोई जाग उठा ज़ेहन में ,
झंकार सी कोई थरथरी है तन में ,
सोज़ -ए- दिल में इक असर जलता है ,
होते लबरेज़ गज़ल बन उभरता है ,

श़ुक्रिया !

आपकी प्रस्तुति से मेरे हृदय में उद्-गार जो उठे उन्हे प्रस्तुत किया है।

29 Jul 2022 11:46 PM

बहुत बहुत शुक्रिया sir जी।

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