Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
Comments (4)

You must be logged in to post comments.

Login Create Account

और ये एक धमाका
रास्ता भी हम जैसा तन्हा-तन्हा सा लगता है।
मिलते नहीं है इस पे चले हुए पैरो के निशान
क्या खूब लिखा भाई जीतनी तारीफ करू उतनी कम आपको मेरा दिल के गहराई से आदाब सलाम🙏🙏🙏🙏🙏🙏

28 Jul 2022 11:36 AM

आपको भी दिल से हमारा सलाम।

28 Jul 2022 08:00 AM

बहुत ही सुंदर रचना।

28 Jul 2022 09:23 AM

बहुत बहुत शुक्रिया।

Loading...