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26 Jul 2022 03:23 PM

वाह बहुत हीं खुबसूरत

आपके अनमोल शब्द के हौसला अफजाई से मै धन्य हो गया बहोत बहोत दिल से आभार

26 Jul 2022 09:00 AM

भाई क्या लिखते हो कसम से दिल को पढ़ने पर मजबूर कर देते हो मन करता है बस पढ़ते ही रहे और ये ग़ज़ल कभी ख़त्म ना हो। बहुत ही उम्दा ग़ज़ल। तारीफों से ऊपर वाली इस गज़ल को किसी तारीफ़ की जरूरत नहीं ये खुद में बेमिसाल है।

बहोत बहोत शुक्रिया आभार धन्यवाद इस गझल को लिखने में सबसे ज्यादा वक़्त लगा है

26 Jul 2022 09:26 AM

तभी तो इतनी अनमोल है।

25 Jul 2022 06:52 PM

बहुत सुंदर। बेहतरीन, रचना।

बहोत बहोत धन्यवाद जी

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