Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
Comments (17)

You must be logged in to post comments.

Login Create Account
15 Nov 2022 08:21 PM

Vaaahhh

बहोत ही उम्दा है शानदार कलम

18 Jul 2022 11:17 PM

Very nice

18 Jul 2022 11:17 PM

Mind blowing

प्रसन्न रहो

18 Jul 2022 11:17 PM

Outstanding

आशीर्वाद

18 Jul 2022 11:17 PM

Adhhut

धन्यवाद पुत्री

18 Jul 2022 09:45 PM

कभी कभी आंखे नम होकर,
बाहर हंसती दिखती है।
कभी कभी प्रसंसा में भी,
भीतर बातें चुभती है।।
फिर कभी कभी झूठे पाखंडों से,
भीतर आत्मा दुःखती है।
फिर जब पीड़ा सीमा पार कर,
एक कवि की स्याही लिखती है।।

आशीर्वाद

Loading...