Comments (4)
17 Jul 2022 07:22 PM
बहुत ही शानदार। वाह वाह ऊंची ग़ज़ल समझने के लिए बड़ा जहन चाहिए।
'अशांत' शेखर
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17 Jul 2022 08:59 PM
बहोत बहोत धन्यवाद भाईजान
बेहतरीन रचना।
बहोत बहोत धन्यवाद