Comments (4)
2 Jul 2022 10:37 AM
मुनासिब नहीं रास्तों में मौसम की छाँव मिले
कब तक कड़ी धूप से काया को बचाते रहोगे बहुत खूब।
'अशांत' शेखर
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2 Jul 2022 07:47 PM
लाख लाख शुक्रिया धन्यवाद
वाह बहुत बहुत बहुत ही खूबसूरत ग़ज़ल है। जितनी तारीफ़ करूं कम होगी।
लाख लाख शुक्रिया धन्यवाद