Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
Comments (22)

You must be logged in to post comments.

Login Create Account
15 Nov 2022 08:23 PM

Vaaahhh

अद्भुत, लय बध्य रचना।।

धन्यवाद प्रिय श्याम

3 Jul 2022 10:29 PM

Good

30 Jun 2022 07:23 PM

❤️❤️❤️❤️

धन्यवाद पुत्री

30 Jun 2022 04:52 PM

बहुत ही सुंदर रचना।

धन्यवाद अनामिका जी

29 Jun 2022 11:13 PM

बहुत अनोखी टोकरी में छोकरी।
कृपा ( ये कैसा धर्मयुद्ध है केशव ) रचना पढ़कर कृतार्थ किजिएगा ।

29 Jun 2022 09:24 AM

Adbhut

आशीर्वाद

29 Jun 2022 09:24 AM

Gajab

धन्यवाद पुत्री

है प्रफुल्लित मन मगन,
ख्वाहिशों की पोटली में,
मिलेगा मोल क्या इतना,
भर सके पेट आधा ,
ढक सके तन तारा ,
कुछ खिलौने ले सकूं ,
नन्हे हाथों के लिए ,
है जरूरी भी दवाई ,
घर के जर्जर स्तंभों के लिए ,
सोचती है हर पल ,
जरूरतें है अधिक,
क्या मिल सकेगा मोल इतना ,
आज ख्वाहिशों की पोटली का ,
आज ख्वाहिशों की पोटली का
……………………
……………पंडित संजय कुमार रिछारिया बेरखेड़ी सड़क सागर मध्य प्रदेश

बहुत-बहुत धन्यवाद सादर प्रणाम

Loading...