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Comments (8)

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27 Jun 2022 10:11 PM

इज़्जत आबरूओं का होने लगा है कारोबार यहां पे।
कितना बे रहम हुआ देखो तो ज़रा आज का इंसा है।।6।।सच्चाई को दर्शाती हुई रचना।

28 Jun 2022 02:05 AM

शुक्रिया जी।

बहुत खूब

27 Jun 2022 09:12 PM

शुक्रिया आपका।

27 Jun 2022 11:11 AM

बहुत खूब जी

27 Jun 2022 11:15 AM

आपका बहुत बहुत शुक्रिया जी।

बहोत आला दर्जे की कलम है

26 Jun 2022 10:24 PM

जर्रानावाजी है आपकी वर्ना बंदा किसी काम का नही। शुक्रिया।

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