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24 Sep 2022 08:56 PM

औरत के रूप में द्रोपदी बूढ़ी होती तो क्या उसका दाँव लगाता उसका मूल्य होता , बात यहाँ जवानी से था सुंदरता से था।
आज भी लड़की के गुणों को कम आँका जाता है ।—- आपने अपने कलम से औरत के प्रति समाज के सदियों से चल रही दोहरे चरित्र पर जोरदार तमाचा मारा है और औरत के प्रति उसके नजरिए पर अपने शब्दो से कड़ा प्रहार करते हुए एक आईना दिखाने की कोशिश की है। अकल्पनीय रचना 👌🏻👌🏻👌🏻🙏🏻🙏🏻💐💐

Dr.sima Author
1 Oct 2022 10:24 PM

आपका तहे दिल से आभार।

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