Comments (11)
23 Jun 2022 06:21 AM
वेदना हृदय की शब्द पटल पर उतरी है ।बढ़ रहे पाखंड की रेखा गहरी गहरी है ।कहीं कपट का कहीं छद्म का ।लगा हुआ सा डेरा है। धर्म का नहीं पंथ पाखंड का ।मचा हुआ झमेला है। यह तो कवि की ह्रदय वेदना का ।एक छोटा सा नमूना है ।आगाज करो सब शब्दों का । कुछ बदलाव तो होना है …कुछ बदलाव तो होना है
पंडित संजय रिछारिया बेरखेड़ी सड़क भोपाल रोड सागर मध्य प्रदेश
ईश्वर दयाल गोस्वामी
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23 Jun 2022 02:32 PM
सदा प्रसन्न रहो पुत्र ।
22 Jun 2022 08:10 PM
अतिसुंदर
ईश्वर दयाल गोस्वामी
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22 Jun 2022 08:31 PM
धन्यवाद बंधु
22 Jun 2022 07:14 PM
Outstanding
ईश्वर दयाल गोस्वामी
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22 Jun 2022 07:30 PM
आशीर्वाद
22 Jun 2022 07:14 PM
Very very nice
ईश्वर दयाल गोस्वामी
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22 Jun 2022 07:30 PM
धन्यवाद पुत्री
22 Jun 2022 07:12 PM
Nice
ईश्वर दयाल गोस्वामी
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22 Jun 2022 07:29 PM
धन्यवाद पुत्री
Vaaahhh