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Comments (11)

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15 Nov 2022 08:25 PM

Vaaahhh

वेदना हृदय की शब्द पटल पर उतरी है ।बढ़ रहे पाखंड की रेखा गहरी गहरी है ।कहीं कपट का कहीं छद्म का ।लगा हुआ सा डेरा है। धर्म का नहीं पंथ पाखंड का ।मचा हुआ झमेला है। यह तो कवि की ह्रदय वेदना का ।एक छोटा सा नमूना है ।आगाज करो सब शब्दों का । कुछ बदलाव तो होना है …कुछ बदलाव तो होना है
पंडित संजय रिछारिया बेरखेड़ी सड़क भोपाल रोड सागर मध्य प्रदेश

सदा प्रसन्न रहो पुत्र ।

अतिसुंदर

धन्यवाद बंधु

22 Jun 2022 07:14 PM

Outstanding

आशीर्वाद

22 Jun 2022 07:14 PM

Very very nice

धन्यवाद पुत्री

22 Jun 2022 07:12 PM

Nice

धन्यवाद पुत्री

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