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बड्ड नीक लेख अछि…आजकाल लोक अपन भाषा के हीन बुझै छैथ।मैथिली त घर बाहर दूनू से जा रहल य।अपन भाषा अपन संस्कृति से दूर भेल जाएत छैथ मिथिलावासी।चिंताके विषय अछि यद्यपि आशावादी छी जे अहाँ सन सन लोग सेहो छैथ जे हमरा सभ के पीढ़ी के जागरूक करै छैथ।प्रणाम
बड्ड नीक लेख अछि…आजकाल लोक अपन भाषा के हीन बुझै छैथ।मैथिली त घर बाहर दूनू से जा रहल य।अपन भाषा अपन संस्कृति से दूर भेल जाएत छैथ मिथिलावासी।चिंताके विषय अछि यद्यपि आशावादी छी जे अहाँ सन सन लोग सेहो छैथ जे हमरा सभ के पीढ़ी के जागरूक करै छैथ।प्रणाम