Comments (7)
29 May 2022 06:38 PM
अति उत्तम
शिव प्रताप लोधी
Author
29 May 2022 02:13 PM
अपनें सपनों को अब वो मेरी आँखों से देखा करते हैं,
इस पंक्ति में मैंने पापा के अधूरे ख्वाबों की भावनाएं व्यक्त की है जो अब मुझे पूरे करनें हैं
29 May 2022 10:36 AM
Right…Rice
29 May 2022 09:22 AM
बहुत सुन्दर| मेरी रचना पिता पढकर अपनी प्रतिक्रिया देने की कृपा करें|
29 May 2022 01:23 AM
Nice Creation….!! Really….heart touching
22 May 2022 09:47 PM
उत्तम kavita, Shivpratap ji। यदि समय मिले तो कृपया मेरी रचना ” पिता का साया” का भी अवलोकन करने का कष्ट कीजिएगा। साभार।
बहुत खुबसूरत रचना।
कृपा”मेरा गुरूर है पिता”रचना पढकर कृतार्थ करें।