Comments (6)
Ram Krishan Rastogi
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20 May 2022 09:36 PM
रस्तोगी जी धन्यवाद
20 May 2022 05:45 PM
बहुत सुंदर कविता,पर प्रकृति मनुष्य के अनुसार नही चलती है। मनुष्य के कारण ही प्राकृतिक सिस्टम गड़बड़ हो गया है।
Ram Krishan Rastogi
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20 May 2022 05:50 PM
धन्यवाद जी
Ram Krishan Rastogi
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20 May 2022 05:42 PM
श्री शिव कुमार गुप्ता जी हार्दिक आभार
Ram Krishan Rastogi
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20 May 2022 02:53 PM
गर्मी के इस कहर के बारे में आपका क्या ख्याल है।
श्री जितेन्द्र कुमार शर्मा जी धन्यवाद