Comments (6)
27 May 2022 12:58 PM
ज़ोरदार
Prabhudayal Raniwal
Author
27 May 2022 01:42 PM
आभार आपका… शुक्रिया..सर जी!
23 May 2022 06:38 PM
उत्तम सृजन,प्रभु दयाल रानीवाल ji।
यदि समय मिले तो कृपया मेरी रचना ” पिता का साया” का भी अवलोकन करने का कष्ट कीजिएगा।
साभार।
Prabhudayal Raniwal
Author
23 May 2022 06:42 PM
आभार आपका.. धन्यवाद सर!
पिता का आशीष रहा है सदा मुझपर।
पिता नहीं है- उनका साया है मुझपर। बहुत ही सुंदर वर्णन सर।
आभार आपका…. शुक्रिया!