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26 Jun 2022 08:48 AM

वो हृदय जो नेह में लिपटा हुआ है।
सामने उसके नीरस मन और सारे।रचना मे पिता के गुण से भरा एक-एक शब्द सत्य है सारे।

साभार नमन आदरणीया!

Beautiful poem,Ankit ji..।
यदि समय मिले तो कृपया मेरी रचना ” पिता का साया” का भी अवलोकन करने का कष्ट कीजिएगा।
साभार।

बहुत बहुत आभार आदरणीय

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