Comments (4)
11 May 2022 12:46 PM
Beautiful poem,Ankit ji..।
यदि समय मिले तो कृपया मेरी रचना ” पिता का साया” का भी अवलोकन करने का कष्ट कीजिएगा।
साभार।
अंकित शर्मा 'इषुप्रिय'
Author
11 May 2022 02:18 PM
बहुत बहुत आभार आदरणीय
वो हृदय जो नेह में लिपटा हुआ है।
सामने उसके नीरस मन और सारे।रचना मे पिता के गुण से भरा एक-एक शब्द सत्य है सारे।
साभार नमन आदरणीया!