शानदार कृति सर
ज्वलंत समस्या की तरफ ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया गया है।
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समाज के लिए नैतिक अनैतिक स्थिति को स्पष्ट किया गया है।अनुकरणीय,,,,,
अदा उपन्यास के अंतर्गत आपने भारतीय समाज की सबसे दुखती नस पे प्रहार करने की सफलतम कोशिश किया है गुरुदेव…इसके लिए आपको सादर बधाई…हमारे भारतीय परिवेश में ऐसे भी समाज निवासरत है जिनके विकास के लिए बनाई गई योजनाएं सिर्फ कागजों में सिमट कर रह जाती है। आपकी कलम इसी तरह हमेशा चलती रहे और भारतीय परंपराओं में निहित कमजोरियों को उजागर करती रहे इसी आशा और विश्वास के साथ आपको आपकी खूबसूरत उपन्यास अदा हेतु पुनः बधाई…
शानदार
‘दुर्दशा’ काव्य संग्रह वर्तमान परिवेश में किसानों की मार्मिक दशा को दर्शाती हैं सक्षम अधिकारी होते हुए किसानों की मार्मिक ‘दुर्दशा’ पर आपकी गहरी अभिव्यक्ति जनमानस में किसानों की व्यथा पर समर्पित है….आपको कोटि-कोटि बधाई मंगलकामनाएं आदरणीय श्री किशन टण्डन क्रान्ति सर जी…
नारी की विवशता का मार्मिक चित्रण किया गया है
यथार्थ को दरसाता हुआ लेख है नारी शक्ति का दर्द को महसूस कर लिखा गया यह लेख बहुत ही सुन्दर है।
एक नारी को अपने शरीर को बेचना पड़ता है, इससे यह पता चलता है कि हम पुरुष कितने नीचे गिर गए हैं, अपनी मां,बहन, बेटी,पत्नी की
हम इज्जत करते हैं और अगर वह दूसरे की हो तो रक्षा की बात को दरकिनार करते हैं और उन्हें नोंचते है, एक बार अपनी आत्मा को पूछे, क्या हम सही राह पर चल रहे हैं
भावनात्मक चित्रण, मर्मस्पर्शी ।👌👌👌👌👌👌
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चारित्रिक विषमताओं से होने वाली सांकेतिक दूरदर्शी परिणाम को परिमार्जित किया गया है जो वर्तमान,भूत एवं भविष्य जो कि समाज में व्याप्त कुरीतियों पर शसक्त हस्ताक्षर हैं… आपको कोटिश: बधाई आदरणीय श्री किशन टण्डन क्रान्ति सर जी.. सादर प्रणाम
हार्दिक धन्यवाद आपको..💐💐💐
दुर्दशा काव्य रचना किसानों की मार्मिक स्थिति एवं व्यथा का बेहतरीन लेखन है हार्दिक बधाई सर आपको 🙏🙏