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1 Jun 2022 12:08 PM

बहुत खुबसूरत रचना।
कृपा”मेरा गुरूर है पिता”रचना पढकर कृतार्थ करें।

हार्दिक आभार सर

18 May 2022 03:01 PM

बेहद सुंदर कविता। एकदम शाश्वत से साक्षात।जय हो आपकी। मेरी भी कविता वो कोई और नहीं पिता है और पिता रूप एक स्वरूप अनेक पर अपना आशीर्वाद और आशीष प्रदान करने की कृपा करें

हार्दिक धन्यवाद सर

बेहतरीन रचना

हार्दिक धन्यवाद

बेहद ख़ूबसूरत रचना है अवधू जी।
यदि समय मिले तो कृपया मेरी रचना ” पिता का साया” का भी अवलोकन करने का कष्ट कीजिएगा।
साभार।

हार्दिक धन्यवाद

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