Comments (5)
3 Jun 2022 01:52 PM
बहुत ही उम्दा।
कृपा”मेरा गुरूर है पिता”रचना पढ़कर कृतार्थ करें।
9 May 2022 10:21 PM
शत-शत नमन सर आपको और आपकी काव्य रचना को
1 May 2022 11:31 AM
वाह वाह सर क्या बहुत खूब लिखा है ।
Subhash Singhai
Author
4 May 2022 08:16 PM
सादर आभार आदरणीय
पिता होने का अनुभव हमें तीन चरणों में मिलता है पुत्र बनकर,, पिता बनकर, और दादा/पोते के रूप में,हर हाल में पिता पूज्यनीय ही है,हर पुत्र को पिता पर गर्व करना अच्छा संकेत है! और वह भी आज के परिवेश में! सादर अभिवादन सहित।