वन्दनीय सृजन … भावपूर्ण … सुंदर कृति …आपका लेखन सराहनीय है । आदरणीय … उक्त शीर्षक पर मेरी मौलिक रचना “पिता महज एक व्यक्ति नहीं है” को अपना स्नेहाशीष प्रदान करें।
रचना पर पहुंच कर like & comment करें ।
बहुत खुबसूरत रचना।
कृपा मेरा गुरूर है पिता रचना पढकर कृतार्थ करें।
बेहद ख़ूबसूरत रचना है ,सुरेन्द्र जी।
यदि समय मिले तो कृपया मेरी रचना ” पिता का साया” का भी अवलोकन करने का कष्ट कीजिएगा।
साभार।
बहुत ही सुन्दर।मेरी रचना पिता की याद भी पढ़े और अपनी प्रतिक्रिया देकर मुझे कृतज्ञ करे
अति सुंदर, आदरणीय मेरे दोहा मुक्तक का भी अवलोकन कीजिये।
बहुत सुंदर, कृपया मेरे दोहा मुक्तक पिता की छांव का भी अवलोकन कीजिए।
पितृमहत्ता पर अतिसुंदर संदेशपूर्ण अभिव्यक्ति !
धन्यवाद !
पिता विषय पर आपकी अति सुंदर हेतु बहुत बहुत बधाई! मेरी रचना ‘कर्ज भरना पिता का न आसान है’ का अवलोकन भी अवश्य करें। यदि रचना अच्छी लगे तो आशीर्वाद स्वरूप लाइक व कमेंट भी दें।
अति सुंदर रचना आपकी मान्यवर, कृपया मेरी रचना शीर्षक ” पिता – नीम की छाँव सा ” को नजर कर अपने विचार साझा करें , धन्यवाद आपका।
बहुत खूब
बहुत सुंदर सर
बेहद ख़ूबसूरत रचना है