बहुत सुंदर प्रस्तुति श्रीवास्तव जी।
सादर आभार महोदय
उम्दा सृजन
सादर आभार… आदरणीया
जबरदस्त श्रीमान, जबरदस्त रचना
सादर आभार महोदय
शानदार सृजन
सादर आभार
Prasnna raho bete….
सादर चरण स्पर्श
Very nice….
U Define the all feelings of father in ur poem very nicely…
सादर आभार
बहुत सुंदर सृजन
सादर आभार संग नमन … आदरणीया
अति सुंदर रचना अधरणीय जी।
हार्दिक आभार संग नमन
एकदम सटीक अभिव्यक्ति
सादर आभार संग नमन
बहुत सुंदर अभिव्यक्ति
सादर आभार संग नमन
बिल्कुल सही लिखा आपने पिता महज…नमन आपकी सोच को आपकी लेखनी को
सादर आभार संग नमन
उत्तम सृजन ।
हौसलाफजाई के लिए शुक्रिया ….
अति सुन्दर
सादर आभार संग नमन
बहुत ही सुंदर रचना।
सादर आभार संग नमन बहना
बहुत उम्दा भाव व शैली,
मेरी कविता “पिता”का अवलोकन भी जरूर करें
सादर आभार … आदरणीय
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति। अतुलनीय है। शानदार और लाजवाब।भाषा का सुंदर संतुलन, शब्द नहीं है।
सादर आभार संग साधुवाद … प्रिय शेखर जी
बहुत ही सुन्दर भावपूर्ण रचना है।
सादर आभार संग नमन
सुंदर … भावपूर्ण … अद्बुत रचना ….
सादर आभार संग नमन … आदरणीय
बहुत ही प्रभावी रचना l बधाईयाँ l
सादर आभार संग नमन …
यथार्थ पिता महज एक व्यक्ति नहीं वो तो पूरी दुनिया है🙏🙏